Friday, January 2, 2009

उम्मीद फिर भी बाकी है



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Zeba Hasan
LUCKNOW (1 Jan): न्यू ईयर आ गया. हर घर में खुशी का माहौल है. सभी ने रिलेटिव्स और फ्रेण्ड्स को फोन और मैसेज करके नए साल की बधाईयां दे दीं. हाउस वाइफ्स ने टीवी पर रखे कैलेण्डर भी रिप्लेस कर दिए. लेकिन कुछ घर ऐसे भी थे जहां महिलाएं पिछले कैलेण्डर ही पलट रही थीं. उनकी नम आंखें पिछली वे तारीखें खोज रही थीं जो उन्होंने अपने मायके में मां से गप्पे लड़ाती बिताई थीं. चेहरे पर अनजाना सा डर भी था. डर उस सरहद का जो बनी तो दो देशों के बीच है, लेकिन जिसकी कसक उनके आंगन तक है. यह दर्द शहर की उन महिलाओं का है जो सरहदों के पार नये रिश्ते यानी शादी कें बंधन में बंधकर एलओसी पार कर चुकी हैं. शहर में आईनेक्स्ट ने कुछ ऐसी ही महिलाओं से रूबरू होकर जानने की कोशिश की कि शादी का यह बंधन उनकी आंखों को कितनी बार भिगो गया.ãUÚ ÂãUÜ ×𴠁ææðÁÌè ãUñ´ ©U×èÎ ·¤è ç·¤Ú‡æसमझौता एक्सप्रेस चले या फिर सारेगामापा के मंच पर ताल से ताल मिले, इनके चेहरे पर भी उतनी ही खुशी होती है, जितनी पाकिस्तान में मौजूद इनकी फैमिली के चेहरे पर. कभी पाकिस्तानी बच्चों के चेहरे पर खुशी देखकर तो कभी दोनों मुल्कों के बीच की घटती दूरी में ये महिलाएं उम्मीद तलाशती हैं. उम्मीद फिर घर जा पाने की. फिर मुम्बई हादसे उनकी उम्मीदों पर पानी फेर देता है. हर पल वह यही सोचती हैं कि अब क्या होगा. 1990 में पाकिस्तान की शबनम शादी के बाद लखनऊ आई थीं. हर लड़की की तरह उनके मन में भी मायके जाने की चाह थी, लेकिन शादी के आठ बरस बाद उन्हें पाकिस्तान जाने का मौका मिला. वह बताती हैं कि इस दौरान जब दोनों देशों के बीच नजदीकियां बढ़ीं तो हम जैसे लोगों को सबसे ज्यादा खुशी हुई थी, लेकिन 26-11 के बाद हर वक्त एक ही सवाल सताता है कि अब क्या होगा. दहशतगर्दो ने तो जो करना था कर दिया लेकिन हमारे लिए अपनों की शक्ल देखना अब और भी मुश्किल हो जाएगा. जब से शादी हुई है तीन बार मायके गई हूं. आज भी पाकिस्तानी सिटीजन हूं, लेकिन दोनों ही घर मेरे अपने हैं. उस वक्त मेरे आंसू थम नहीं रहे थे जब पाकिस्तान में मेरी सगी बहन की शादी थी और मैं अपने वीजा के लिए चक्कर लगा रही थी. और फिर मैं बहन की शादी में शरीक नहीं हो पाई.·¤æàæ Îæð çâÅUèÁÙçàæ ç×Ü â·¤Ìèवह दौर कितना अच्छा था, जब सरहद पार से बसें आती और जाती थीं. उस सफर ने कितने बिछड़े हुए अपनों को मिलाया था, लेकिन अब शायद यह लम्बे अरसे तक मुमकिन ही न हों. सब कुछ ठीक चल रहा था 26-11 के बाद एक बार फिर महौल बदल गया है, और हम जैसे कितने लोग सरहदों की खींचतान में जिन्दगी गुजार रहे हैं. यह कहना है पाकिस्तान से अपने ससुराल लखनऊ आई लुबना मुमताज खान का. लुबना बताती हैं कि मैं अपने ही लोगों में कुछ ऐसे लोगों को जानती हूं जो पिछले दस सालों से वीजा के लिए चक्कर लगा रहे हैं. लुबना कहती हैं कि मेरे पति और बच्चा इंडियन नेशनल हैं और मैं आज भी पाकिस्तानी सिटीजन हूं.


वह बहुत खुश थीं, कभी अपनी नवासी के लिए अमरस लाकर रखती तो कभी बेटी को देने के लिए सामान. जरुरी कागजात उन्होंने ज्यादा पैसे लगाकर स्पीडपोस्ट किये थे ताकि जितनी जल्दी कागज पहुंचेगें उतनी जल्दी वीजा मिलेगा. नसीम बानो की बेटी को करीब दस सालों बाद पाकिस्तान से आने का मौका मिल रहा था, लेकिन 26-11 को सब कुछ थम कर रह गया. बेटी की आने की खबर की खुशी टीवी पर खबर देखते ही काफूर हो गई और वह समझ गईं कि अब यह इंतजार कब खत्म होगा पता नहीं. नसीम ने अपनी बेटी की शादी अपने ही रिश्तेदारों में करीब 15 साल पहले की थी. आज उनके करीब 4 बच्चे हैं, लेकिन वह सिर्फ एक ही बार घर आई है. वहीं लखनऊ के माल एवेन्यू में रहने वाली उमर तलहा की शादी भी पाकिस्तान में हुई है और उनके घर वाले भी हर खुशी और गम के मौके पर उनकी कमी महसूस करते हैं.

9 comments:

Unknown said...

हिन्दी के ब्लॉग जगत में आपका हार्दिक स्वागत है, खूब लिखें, मेरी शुभकामनायें आपके साथ हैं… एक अर्ज है कि कृपया वर्ड वेरिफ़िकेशन हटा दें ताकि टिप्पणी देने में कोई बाधा न हो… धन्यवाद

रचना गौड़ ’भारती’ said...

नववर्ष् की शुभकामनाएं
भावों की अभिव्यक्ति मन को सुकुन पहुंचाती है।
लिखते रहि‌ए लिखने वालों की मंज़िल यही है ।
कविता,गज़ल और शेर के लि‌ए मेरे ब्लोग पर स्वागत है ।
मेरे द्वारा संपादित पत्रिका देखें
www.zindagilive08.blogspot.com
आर्ट के लि‌ए देखें
www.chitrasansar.blogspot.com

Unknown said...

welcome to the hindi blogging and also happy new year....keep writing..

talib د عا ؤ ں کا طا لب said...

bahut khoob! khoob likhen aur apni bat logon tak pahunchayen.

Prakash Badal said...

आपको नव वर्ष की शुभकामनाएं। लिखना जारी रखें।

Publisher said...

उम्मीदों-उमंगों के दीप जलते रहें
सपनों के थाल सजते रहें
नव वर्ष की नव ताल पर
खुशियों के कदम थिरकते रहें।




नव वर्ष की ढेर सारी शुभकामनाएं।

Sanjay Grover said...

आज का दिन ऐतिहासिक है (क्योंकि) मैं आपके ब्लाॅग पर आया हूँ।
दरअसल......
इधर से गुज़रा था सोचा सलाम करता चलूंऽऽऽऽऽऽऽ
(और बधाई भी देता चलूं...)

प्रदीप मानोरिया said...

आपका स्वागत है .... मेरे ब्लॉग पर भी दस्तक दें

संगीता पुरी said...

बहुत सुंदर...आपके इस सुंदर से चिटठे के साथ आपका ब्‍लाग जगत में स्‍वागत है.....आशा है , आप अपनी प्रतिभा से हिन्‍दी चिटठा जगत को समृद्ध करने और हिन्‍दी पाठको को ज्ञान बांटने के साथ साथ खुद भी सफलता प्राप्‍त करेंगे .....हमारी शुभकामनाएं आपके साथ हैं।