Ready to Rock
Zeba Hasan
LUCKNOW (30 Dec): चार दोस्त, एक बैण्ड और मकसद संगीत की दुनिया में छा जाना. फिर भी एक वक्त ऐसा आया कि ये दोस्त अलग हो गये और ब्रेक हो गया म्यूजिकल एसोसिएशन. लखनऊ में 21वीं सेंचरी के इस सबसे पुराने बैण्ड के आर्टिस्ट और दोस्त 2007 में एक बार फिर मिले और नये जोश के साथ शुरू हो गया संगीत का सफर. कहानी हाल ही में आई फिल्म रॉक आन से मिलती जरूर है लेकिन यह हेरेटिक्स बैण्ड की रियल स्टोरी है. अब यही दोस्त-सिद्धार्थ, नितिन, फजल और पियूष एक बार फिर रॉक म्यूजिक की दुनिया में छा जाने के लिए तैयार हैं.बस एक मौके के इंतजार में हर रॉक बैण्ड नये साल में उनके एलबम का सपना भी पूरा होने वाला है. यह सिर्फ एक बैण्ड की बात नहीं है. इन दिनों हर दूसरे कॉलेज में रॉक बैण्ड जरूर है. इस साल लगता है कि शहर के यूथ पर सिर्फ कैम्पस, दोस्ती और म्यूजिक का जुनून हावी है. यही वजह है कि शहर में तीन दर्जन से अधिक रॉक बैण्ड बन चुके हैं. वैसे ये बैण्ड्स सिर्फ यंगस्टर्स का पैशन ही नहीं बल्कि करियर का अच्छा ऑप्शन बन चुके हैं. शायद यही कारण है कि उनके इस म्यूजिकल सफर में पैरेंन्ट्स भी हर कदम पर साथ खड़े हैं. यानी अब लखनऊ के यूथ रेडी हैं, दुनिया को रॉक करने के लिए.पिछले एक साल में रॉक बैण्ड बनने की स्पीड से तो ऐसा लगता है कि वह वक्त दूर नहीं जब हर यंगस्टर किसी ना किसी बैण्ड का हिस्सा होगा. आवेग, फ्लक्स, सोलरेबेलियन, डीटीएन, फ्रिक्शन एडिक्शन, ब्रह्मंास्त्र जैसे कई नाम ऐसे हैं, जो म्यूजिक की दुनिया में अपनी अलग पहचान बना चुके हैं. हर बैण्ड का बस एक ही सपना है कि उनका म्यूजिक एलबम और बड़े शोज. फ्रिक्शन एडिक्शन के ड्रमर परिमल कहते हैं कि हर म्यूजिक ग्रुप की तरह हमारा भी मकसद अपने गाने बनाना और उन्हें दुनिया को सुनाना है. आर्यन ग्रुप के डीजे नारायन हों या बंदिश ग्रुप के आदिल, यह हमारे शहर से ही निकले हैं और हम सबको एक ही मौके की तलाश रहती है. ×êßè Úæò·¤ ¥æÙ ·¤æ æè ¥âÚफरहान अख्तर की मूवी रॉक आन ने ना सिर्फ बॉक्स आफिस पर कब्जा जमाया बल्कि म्यूजिक के दीवानों के दिलों को कहीं ना कहीं छू गई. किसी ने मूवी देखकर अपना नया बैण्ड बना लिया तो किसी ने अपने टूटते हुए बैण्ड को दोबारा शुरू किया. 2007 में बने बर्निग ऑक्टेव के गिटारिस्ट निशांक ने भी इस पल को जिया, फर्क सिर्फ इतना है कि यह बैण्ड रॉक आन फिल्म देखने के बाद एक बार फिर शुरू हुआ और शहर में छा गया. उहोंने बताया कि मेरी भी बैण्ड के साथ मिसअंडरस्टैडिंग हो गई थी और मैं बैण्ड से अलग होना चाह रहा था. तभी फिल्म रॉक आन आई. मैं फिल्म देखकर काफी इमोशनल हो गया था और जो फैसला किया था, उसे छोड़ कर मैंने नये जोश के साथ म्यूजिक पर ध्यान देना शुरू कर दिया. शहर के मॉल में कोई सेलीब्रेशन हो या फिर कॉलेज का एनुवल डे फंक्शन, इन दिनों बैण्ड परफार्मेस होना आम बात हो गई है. स्कूल-कॉलेज के स्टूडेंट्स द्वारा बनाए गये इन बैण्ड्स में यूज किये जाने वाले इंस्ट्रूमेंट्स खरीदना और मेनटेन करना काफी एक्पेंसिव होता है. शायद यही वजह है कि हेरेटिक्स बैण्ड को बनाने वाले फजल बताते हैं कि रॉक आन मूवी की फर्स्ट हाफ की कहानी की तरह हर बैण्ड की स्टोरी होती है. हर बैण्ड को फाइनेंशिल क्राइसेस का सामना करना पड़ता है. इक्यूपमेंट्स काफी एक्पेंसिव होते हैं और अगर अच्छा प्ले करना है तो इक्यूपमेंट का बेस्ट होना अहम होता है. अपनी पाकेट मनी पर ही सब डिपेंड होता है. घरवाले भी इतना खर्च बार-बार नहीं उठाते. इसीलिए बर्निग ऑक्टेव से रोजमर्रा के खर्चे से निपटने का अपना तरीका ईजाद किया. बस बैण्ड का हर मेम्बर रोज 10 रुपए पिगी बैंक में डालते हैं. फिर अगर गिटार का तार टूटता है या कोई और मुश्किल इसी बचत का पैसा खर्च होता है. ÂñÚð´ÅU÷â æè âæ‰æम्यूजिक इंडस्ट्री बहुत बड़ी है. यही वजह है कि यंगस्टर्स एज ए करियर इसमें कहीं ना कहीं अपनी किस्मत आजमा रहे हैं. बैण्ड भी अच्छा ऑप्शन है. यही वजह है कि पैरेंट्स अपने बच्चों को ना सिर्फ फाइनेंशियली सपोर्ट करते हैं, इंकरेज करने के लिए उनके साथ परफार्मेसेस, कॉम्पटीशन या फिर प्रैक्टिस में भी साथ रहने को कोशिश करते हैं. इक्यूनाक्स के कीबोर्ड आर्टिस्ट कुशाग्र अभी नाइंथ क्लास के स्टूडेंट हैं. प्रैक्टिस के दौरान उनकी मम्मी मोनिका भी उनके साथ रहती हैं.
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