Aga Hashr
Tum aur fareb khaao bayaan-e-raqiib seTum aur fareb khaao bayaan-e-raqiib se tum se to kam gilaa hai ziyaadaa nasiib se
goyaa tumhaarii yaad hii meraa ilaaj hai hotaa hai paharo.n zikr tumhaaraa tabiib se
barabaad-e-dil kaa aakhirii saramaayaa thii ummiid vo bhii to tum ne chhiin liyaa mujh gariib se
dhu.ndhalaa chalii nigaah dam-e-vaapasii hai ab aa paas aa ke dekh luu.n tujh ko qariib se
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Suu-e-maikadaa na jaate to kuchh aur baat hotiiSuu-e-maikadaa na jaate to kuchh aur baat hotii wo nigaah se pilaate to kuchh aur baat hotii
[suu-e-maikadaa=towards the bar/place for drinking]
go havaa-e-gulasitaa.n ne mere dil kii laaj rakh lii wo naqaab khud uthaate to kuchh aur baat hotii
ye bajaa kalii ne khil kar kiyaa gulasitaa.n muattar magar aap muskuraate to kuchh aur baat hotii
[muattar=full of itr]
ye khule khule se gesuu, i.nhe.n laakh tuu sa.nwaare mere haath se sa.nwarate, to kuchh aur baat hotii
go haram ke raaste se vo pahu.nch gaye khudaa tak terii raahaguzar se jaate to kuchh aur baat hotii
Wednesday, November 19, 2008
Sunday, November 16, 2008
Faishon is passion
Zeba Hasan
LUCKNOW (15 Nov): फैशन मूवी इज सुपर्ब. फिल्म में फैशन की दुनिया के निगेटिव पार्ट को फोकस किया गया है. हालांकि इससे हमारे हौसलों पर फर्क नहीं पड़ा. क्योंकि इट्स आल डिपेंड ऑन मी..यह कहना है गीतिका का, जो इस बार फैंटेसी मिस लखनऊ बनने के लिए कमर कस चुकी हैं. गीतिका इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रही हैं लेकिन उनका साफ कहना है कि अगर मॉडलिंग के अच्छे ऑफर मिले तो बिना सोचे-समझे फैशन वर्ल्ड को ही ऐज ए करियर चुनेंगी. गीतिका ही नहीं बल्कि कई युवाओं की आंखों में फैशन के आसमान पर चमकने का सपना जगमगा रहा है. एमबीए, इंजीनियरिंग या मेडिकल का स्टूडेंट, रैम्प को करियर का मंच बनाने में अब किसी को हिचक नहीं है. इस वक्त लखनऊ की कुछ मॉडल्स नेशनल और इंटरनेशनल लेवल पर बेहतरीन प्रदर्शन कर रही हैं. शहर के कुछ डिजाइनर्स का भी लोहा पूरी इंडस्ट्री ने माना है. यहां तक कि कुछ साल पहले जो इंटरनेशनल डिजाइनर लखनऊ को कंजरवेटिव सिटी मान रहे थे, उनका भी कहना है कि अगर मॉडल में दम है तो उसे कोई भी आगे बढ़ने से नहीं रोक सकता. फैशन इंडस्ट्री में लखनऊ की घुसपैठ का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि अब हर महीने कहीं ना कहीं फैशन शो आर्गनाइज ही हो जाता है. यानी मॉडलिंग को करियर बनाने के लिए युवाओं के लिए अपने शहर में ही ढेर सारे ऑपशन्स हैं. ãUÚ ×éçà·¤Ü âð çÙÂÅUÙæ ¥æÌæ ãUñ एमबीए की स्टूडेंट मेघा का सपना सुपर मॉडल बनने का है. इसकी शुरुआत उन्होंने अपने शहर से ही की है. इस बार मिस लखनऊ में जाने की तैयारी कर रही मेघा बताती हैं कि फैशन वर्ल्ड का ग्लैमर ही अट्रैक्ट करता है. अगर मुझे अच्छा ऑफर आता है तो मैं नौकरी के बजाए मॉडलिंग को ही चुनुंगी. रहा सवाल इस फील्ड के निगेटिव पार्ट का तो मैं यही कहना चाहूंगी कि यह तो हर फील्ड में होता है. निर्भर करता है कि कोई व्यक्ति क्या खोकर क्या पाना चाहता है. ×æòÜ â𠧢ÅUÚUÙðàæÙÜ ÚUñ ̷¤कभी किसी को मुकम्मल जहां नहीं मिलता..शायर की यह पंक्तियां भले ही जिन्दगी की सच्चाई बयां करती हो, लेकिन शहर के यूथ का फंडा कुछ अलग है. इस शहर के कई युवा इंटरनेशनल लेवल पर धमाल मचा रहे हैं. फैंटेसी मिस्टर लखनऊ के रनरअप आशुतोष ने भी अपने करियर की शुरुआत शहर के रैम्प से की थी. आज वह एडवरटाइजमेंट की दुनिया का जाना-माना नाम बन चुके हैं. आशुतोष ने ग्लैडरैग्स में भी रनरअप का खिताब जीता. एलआईसी के ऐड और कभी खुशी, कभी गम में शाहरुख खान के साथ उनकी भूमिका सक्सेज की कहानी बयां करती है. आशुतोष ने तो शुरुआत से ही फैशन को गंभीरता से लिया लेकिन अगर नजर दौड़ाएं तो यह पता लग जाता है कि लखनऊ किसी भी मामले में पीछे नहीं है. हां, जरूरत है तो इनिशिएटिव लेने की. इसका सबसे बड़ा उदाहरण ईशा सिंहा हैं. एक मॉल में शॉपिंग करने गई ईशा ने यहां पैन्टालून फेमिना मिस इंडिया के होने वाले ऑडीशन का फार्म भर दिया और उनका सेलेक्शन भी हो गया. ईशा शहर से सीधे मिस इंडिया के रैम्प पर पहुंची. भले ही वह आखिरी दस तक ही पहुंच सकीं लेकिन आज वह नेशनल रैम्प की मॉडल बन चुकी हैं. इस वक्त बंगलुरु में होने वाले शोज में बिजी हैं. ÕÉU¸UÌæ ãUè Áæ ÚUãUæ ãUñ ·ýð¤Á मॉडलिंग के लिए बढ़ते क्रेज का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि ऑडीशन के एक ऐड पर किसी भी जगह सैकड़ों युवाओं की लम्बी-लम्बी लाइन लग जाती है. उन्हें इसका अंदाजा है कि वह शायद सुपर मॉडल नहीं बन सकेंगे लेकिन घंटों लाइन में खड़े रहने से भी गुरेज नहीं है. क्योंकि उन्हें यह जरूर पता है कि शहर के शोज में उन्हें जरूर याद किया जाएगा, जो उनके करियर को पायदान दर पायदान बढ़ाएगा. मिस और मिस्टर लखनऊ या यूपी जैसी प्रतियोगिताएं भी ऐसे युवाओं को नया रास्ता दिखा रही हैं. उन्हें शहर में होने वाले हर शो में तो बुलाया ही जाता है और नेशनल लेवल पर होने वाले शोज में भी मौका मिलता है. 2008 की मिस लखनऊ रनअरअप राधिका भी इन दिनों शोज और फोटो शूट में बिजी हैं. बड़े गार्मेट शोज और एड के लिए उन्हें कई ऑफर मिल चुके हैं. फैन्टेसीज, सामाजिक एवं सांकृतिक संस्था की फाऊंडर अरुणा का इस बारे में कहना है कि यहां कई सारे इवेंट आर्गनाइज होते हैं, लेकिन सबसे ज्यादा पार्टीसिपेंट फैशन शोज में ही आते हैं. हर साल ऑडीशन में बच्चे बढ़ ही रहे हैं और इस बार भी अब तक तीन सौ फार्म मेरे पास आ चुके हैं. खास बात यह है कि अब पैरेंट्स खुद चाहते हैं कि अपने बच्चों को इस लाइन में जाने के लिए. वहीं उपमा इवेंट की उपमा भी मानती हैं कि इन दिनों यूथ में इस फील्ड में जाने का क्रेज बढ़ गया.
LUCKNOW (15 Nov): फैशन मूवी इज सुपर्ब. फिल्म में फैशन की दुनिया के निगेटिव पार्ट को फोकस किया गया है. हालांकि इससे हमारे हौसलों पर फर्क नहीं पड़ा. क्योंकि इट्स आल डिपेंड ऑन मी..यह कहना है गीतिका का, जो इस बार फैंटेसी मिस लखनऊ बनने के लिए कमर कस चुकी हैं. गीतिका इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रही हैं लेकिन उनका साफ कहना है कि अगर मॉडलिंग के अच्छे ऑफर मिले तो बिना सोचे-समझे फैशन वर्ल्ड को ही ऐज ए करियर चुनेंगी. गीतिका ही नहीं बल्कि कई युवाओं की आंखों में फैशन के आसमान पर चमकने का सपना जगमगा रहा है. एमबीए, इंजीनियरिंग या मेडिकल का स्टूडेंट, रैम्प को करियर का मंच बनाने में अब किसी को हिचक नहीं है. इस वक्त लखनऊ की कुछ मॉडल्स नेशनल और इंटरनेशनल लेवल पर बेहतरीन प्रदर्शन कर रही हैं. शहर के कुछ डिजाइनर्स का भी लोहा पूरी इंडस्ट्री ने माना है. यहां तक कि कुछ साल पहले जो इंटरनेशनल डिजाइनर लखनऊ को कंजरवेटिव सिटी मान रहे थे, उनका भी कहना है कि अगर मॉडल में दम है तो उसे कोई भी आगे बढ़ने से नहीं रोक सकता. फैशन इंडस्ट्री में लखनऊ की घुसपैठ का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि अब हर महीने कहीं ना कहीं फैशन शो आर्गनाइज ही हो जाता है. यानी मॉडलिंग को करियर बनाने के लिए युवाओं के लिए अपने शहर में ही ढेर सारे ऑपशन्स हैं. ãUÚ ×éçà·¤Ü âð çÙÂÅUÙæ ¥æÌæ ãUñ एमबीए की स्टूडेंट मेघा का सपना सुपर मॉडल बनने का है. इसकी शुरुआत उन्होंने अपने शहर से ही की है. इस बार मिस लखनऊ में जाने की तैयारी कर रही मेघा बताती हैं कि फैशन वर्ल्ड का ग्लैमर ही अट्रैक्ट करता है. अगर मुझे अच्छा ऑफर आता है तो मैं नौकरी के बजाए मॉडलिंग को ही चुनुंगी. रहा सवाल इस फील्ड के निगेटिव पार्ट का तो मैं यही कहना चाहूंगी कि यह तो हर फील्ड में होता है. निर्भर करता है कि कोई व्यक्ति क्या खोकर क्या पाना चाहता है. ×æòÜ â𠧢ÅUÚUÙðàæÙÜ ÚUñ ̷¤कभी किसी को मुकम्मल जहां नहीं मिलता..शायर की यह पंक्तियां भले ही जिन्दगी की सच्चाई बयां करती हो, लेकिन शहर के यूथ का फंडा कुछ अलग है. इस शहर के कई युवा इंटरनेशनल लेवल पर धमाल मचा रहे हैं. फैंटेसी मिस्टर लखनऊ के रनरअप आशुतोष ने भी अपने करियर की शुरुआत शहर के रैम्प से की थी. आज वह एडवरटाइजमेंट की दुनिया का जाना-माना नाम बन चुके हैं. आशुतोष ने ग्लैडरैग्स में भी रनरअप का खिताब जीता. एलआईसी के ऐड और कभी खुशी, कभी गम में शाहरुख खान के साथ उनकी भूमिका सक्सेज की कहानी बयां करती है. आशुतोष ने तो शुरुआत से ही फैशन को गंभीरता से लिया लेकिन अगर नजर दौड़ाएं तो यह पता लग जाता है कि लखनऊ किसी भी मामले में पीछे नहीं है. हां, जरूरत है तो इनिशिएटिव लेने की. इसका सबसे बड़ा उदाहरण ईशा सिंहा हैं. एक मॉल में शॉपिंग करने गई ईशा ने यहां पैन्टालून फेमिना मिस इंडिया के होने वाले ऑडीशन का फार्म भर दिया और उनका सेलेक्शन भी हो गया. ईशा शहर से सीधे मिस इंडिया के रैम्प पर पहुंची. भले ही वह आखिरी दस तक ही पहुंच सकीं लेकिन आज वह नेशनल रैम्प की मॉडल बन चुकी हैं. इस वक्त बंगलुरु में होने वाले शोज में बिजी हैं. ÕÉU¸UÌæ ãUè Áæ ÚUãUæ ãUñ ·ýð¤Á मॉडलिंग के लिए बढ़ते क्रेज का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि ऑडीशन के एक ऐड पर किसी भी जगह सैकड़ों युवाओं की लम्बी-लम्बी लाइन लग जाती है. उन्हें इसका अंदाजा है कि वह शायद सुपर मॉडल नहीं बन सकेंगे लेकिन घंटों लाइन में खड़े रहने से भी गुरेज नहीं है. क्योंकि उन्हें यह जरूर पता है कि शहर के शोज में उन्हें जरूर याद किया जाएगा, जो उनके करियर को पायदान दर पायदान बढ़ाएगा. मिस और मिस्टर लखनऊ या यूपी जैसी प्रतियोगिताएं भी ऐसे युवाओं को नया रास्ता दिखा रही हैं. उन्हें शहर में होने वाले हर शो में तो बुलाया ही जाता है और नेशनल लेवल पर होने वाले शोज में भी मौका मिलता है. 2008 की मिस लखनऊ रनअरअप राधिका भी इन दिनों शोज और फोटो शूट में बिजी हैं. बड़े गार्मेट शोज और एड के लिए उन्हें कई ऑफर मिल चुके हैं. फैन्टेसीज, सामाजिक एवं सांकृतिक संस्था की फाऊंडर अरुणा का इस बारे में कहना है कि यहां कई सारे इवेंट आर्गनाइज होते हैं, लेकिन सबसे ज्यादा पार्टीसिपेंट फैशन शोज में ही आते हैं. हर साल ऑडीशन में बच्चे बढ़ ही रहे हैं और इस बार भी अब तक तीन सौ फार्म मेरे पास आ चुके हैं. खास बात यह है कि अब पैरेंट्स खुद चाहते हैं कि अपने बच्चों को इस लाइन में जाने के लिए. वहीं उपमा इवेंट की उपमा भी मानती हैं कि इन दिनों यूथ में इस फील्ड में जाने का क्रेज बढ़ गया.
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